‘‘ऊपर की तस्वीर से यह नहीं माना जाए कि बालगोबिन भगत साधु थे।’’ क्या ‘साधु’ की पहचान पहनावे के आधार पर की जानी चाहिए? आप किन आधारों पर यह सुनिश्चित करेंगे कि अमुक व्यक्ति ‘साधु’ है?
आजकल स्वभावगत साधुता की पहचान करना कठिन है। पहनावा मात्र के आधार पर किसी व्यक्ति को साधु नहीं माना जा सकता है। सच्चा साधु वही है जो-
(क) दूसरों को वाणी से शीतलता प्रदान करता है।
(ख) कर्म में परोपकार की भावना से ओत-प्रोत होता है।
(ग) जिसके मन में दूसरों के कल्याण की भावना निहित होती है।
(घ) बाह्याडंबर से दूर, सीधा-सरल स्वभाव का हो।
(च) उपदेशात्मक जीवन में जैसी दूसरों से अपेक्षा करता है, वैसा ही आचरण स्वयं भी करे।
(छ) लोभ, स्वार्थ से दूर त्याग-पूर्ण जीवन यापन करे।
(ज) भोग-विलास की छाया से दूर रहे।
अतः सांसारिक जीवन में रहते हुए भी आचरण से व्यक्ति साधु हो सकता है। यह आवश्यक नहीं है कि साधु के लिए निश्चित वेशभूषा हो।